Nepal is in trouble with natural disaster: Earthquake hits Nepal, death toll reaches 140; PM Modi said India stands in solidarity with Nepal
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नेपाल में आया भूकंप (Earthquake hits Nepal) , मरने वालों की संख्या 140 हुई; पीएम मोदी ने कहा भारत नेपाल के लिए एकजुटता के साथ खड़ा है
हिमालयी देश में आए हालिया भूकंप में सहायता प्राप्ति हेतु भारत ने नेपाल में भारतीय नागरिकों के लिए एक आपातकालीन संपर्क नंबर – +977-9851316807 – प्रदान किया है।
Effect In India (Bharat)
नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप के बाद एक महीने में तीसरी बार दिल्ली-एनसीआर के लोगों को झटके महसूस हुए।
शुक्रवार की रात 03 नवंबर 2023 को नेपाल में रिक्टर पैमाने पर 6.4 तीव्रता का भूकंप आने से दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों के निवासियों को झटके महसूस हुए थे और वे घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए। एक महीने में यह तीसरी बार ऐसा हुआ था जब दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए और इससे यह चर्चा होने लगी कि राष्ट्रीय राजधानी में ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं।
अभी हाल ही में भारत सरकार के सूचना मंत्रालय द्वारा आपातकालीन स्थिति से निपटने हेतु सुचना के लिए एक ट्रायल मैसेज अधिकांश लोगों के फ़ोन पर भी भेजा गया था क्या यह आने वाली इस तरह की आपदाओं के प्रति अलर्ट कर सकेगा यह लोगों में इस भूकंप बाद जिज्ञासा का प्रश्न है
मुख्य बिंदु
नेपाल में 3 नवंबर को आए 6.4 तीव्रता के भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 140 हो गई है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक व्यक्त किया और कहा कि भारत नेपाल के साथ एकजुटता से खड़ा है
भारत ने नेपाल में भारतीय नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक आपातकालीन संपर्क नंबर – +977-9851316807 – प्रदान किया है।
सामान्य ज्ञान :
*भूकंप को रिक्टर स्केल पैमाने से मापा जाता है |
*भूकंप की तीव्रता को सीस्मोग्राफ से जाना जाता है |
भूकंप क्या है ?
भूकंप एक ऐसी अद्भुत घटना है जिसमें जमीन का भयंकर रूप से हिलना और इसमें जमीन तथा इसके ऊपर मौजूद संरचनाओं का बुरी तरह से हिलना शामिल है। ऐसा गतिशील स्थल-मण्डलीय (मूविंग लिथोस्फेरिक) अथवा क्रस्टल (भूपटल) प्लेटों के संचरित दबाव के मुक्त होने के कारण होता है। पृथ्वी की परत 7 बड़ी प्लेटों में बटी हुई है जो कि 50 मील मोटाई वाली होती है जो पृथ्वी के आंतरिक तथा अनेक छोटी प्लेटों के ऊपर धीमी गति से लगातार गतिषील रहती हैं।
भूकंप मूलतः विवर्तनिक (टेक्टोनिक) होते हैं अर्थात् जमीन में आने वाले झटकों के होने के लिए गतिषील (मूविंग) प्लेटें जिम्मेदार हैं। किसी आबादी वाले क्षेत्र में एक भूकंप के घटने से अनेक लोग हताहत तथा चोट खा सकते हैं, साथ ही संपत्ति को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
भारत में भूकंप का खतरा :
पिछले 15 सालों के दौरान, देश ने 10 बड़े भूकंपों को झेला है जिनके कारण 20,000 से अधिक जानें गई हैं। देष के वर्तमान भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के अनुसार (आईएस 1893: 2002), भारत की भूमि का 59% हिस्सा सामान्य से गंभीर भूकंपीय खतरों की चेतावनी के अधीन है:-जिसका अर्थ यह है कि भारत एमएसके तीव्रता VII और उससे अधिक झटकों के प्रति प्रवृति रहता है (बीएमटीपीसी, 2006)।
वास्तव में संपूर्ण हिमालय क्षेत्र को 8.0 की तीव्रता वाले बड़े भूकंपों के प्रति प्रवृति माना जाता है और 50 साल की अपेक्षाकृत अल्पावधि में 4 ऐसे बड़े भूकंप आ चुके हैं 1897 षिलांग (तीव्रता 8.7); 1905 में कांगड़ा (तीव्रता 8.0); 1934 बिहार-नेपाल (तीव्रता 8.3); और 1950 असम-तिब्बत (तीव्रता 8.6)। वैज्ञानिक प्रकाषनों में हिमालयी क्षेत्र में एक बड़े शक्तिशाली भूकप के आने की संभावना के बारे में चेतावनी दी है, जिनसे भारत में करोड़ों लोगों की जिंदगी पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।1
भूकंप से बचाव के उपाय :
भूकंप आने पर धैर्यपूर्वक कार्य करें, शांत रहें, रेडियो/टी.वी. को चालू करें तथा इस पर आने वाली हिदायतों का पालन करें।
समुद्र-तट तथा नदी के निचले किनारों से दूर रहें। बड़ी लहरें आपको बहा सकती हैं।
भूकंप के बाद आने वाले झटकों के प्रति तैयार रहें किसी सुरक्षित स्थान की खोज कर वहां पहुंचे ।
पानी, गैस तथा बिजली के स्विचों को बंद कर दें जिससे अनावश्यक समस्याएं खड़ी ना हों ।
सिगरेट न पिएं तथा माचिस की तीली को न जलाएं अथवा किसी सिगरेट लाइटर का उपयोग न करें।
स्विच को ऑन न करें क्योंकि गैस लीकेज अथवा षार्ट-सर्किट हो सकता है। टॉर्च का उपयोग करें।
यदि कहीं आग लगी हो तो इसे बुझाने का प्रयास करें। यदि आप इसे बुझा न सकें तो फायर ब्रिगेड को बुलाएं।
यदि लोगों को गंभीर चोट लगी हो तो उन्हें तब तक न हिलाएं जब तक कि उन्हें कोई खतरा न हो।
उस ज्वलनषील पदार्थ, जो जमीन पर बिखर गया हो, (अल्कोहल, पेंट आदि) को तुरंत साफ कर दें।
यदि आपको पता चल जाए कि लोग जल गए हैं तो बचाव टीमों को बुलाएं। हड़बड़ी न मचाएं तथा चोटग्रस्त लोगों अथवा अपनी खुद की हालत को और खराब न बनाए।
ऐसे स्थानों से बचें जहां पर बिजली की तारें टूटी पड़ी हों तथा उनके संपर्क में आने वाली किसी धातु की वस्तु को न छुएं।
बिना जांच किए छलनी, फिल्टर, किसी मामूली साफ कपड़े से साफ किए बिना खुले बर्तन से पानी न पिएं।
यदि आपका घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया हो तो आपको इसको छोड़ना पड़ेगा। जिसमें पानी के बर्तनों, खाना तथा सामान्य तथा विषेश दवाइयों (दिल की बीमारी, डायबिटीज आदि के मरीजों हेतु) को इकट्ठा कर लें।
बुरी तरह क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों के अंदर दोबारा न घुसें तथा टूटे-फूटे ढांचों के पास न जाएं।
आपातकालीन किट
बैटरी चालित टॉर्च अतिरिक्त बैटरियां
बैटरी चालित रेडियो
प्राथमिक सहायता थैला (किट) तथा मैनुअल
आपातकालीन खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) तथा पीने का पानी (पैक्ड तथा सीलबंद)
एक वाटरप्रूफ कंटेनर में मोमबत्तियां तथा माचिसें
चाकू
क्लोरीन की गोलियां तथा पाउडर युक्त वाटर प्यूरिफायर
केन ओपनर
अनिवार्य दवाइयां
नकदी, आधार कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड
मोटी रस्सी तथा डोरियां
मजबूत जूते
नेपाल में कितने भूकंप आए हैं?भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी 2023 से अब तक नेपाल में 4.0 और उससे अधिक तीव्रता के कुल 70 भूकंप आए हैं। इनमें से 13 की तीव्रता 5 और 6 के बीच थी जबकि तीन की तीव्रता 6.0 से ऊपर थी
भारत की भूकंप हेतु क्या है तैयारी?
भारत में भूकंप की तैयारी हेतु उठाए जाने वाले कदम:
- बिल्डिंग कोड और मानक: भारत ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिये बिल्डिंग कोड और मानक स्थापित किये हैं।
- यह सुनिश्चित करने के लिये इन कोड और मानकों को सख्ती से लागू करना महत्त्वपूर्ण है कि भूकंप का सामना करने हेतु नई इमारतों का निर्माण किया जाए। इसके लिये नियमित निरीक्षण एवं मौजूदा बिल्डिंग कोड के प्रवर्तन की भी आवश्यकता होगी।
- पुनः संयोजन एवं सुदृढीकरण: पुरानी इमारतें वर्तमान भूकंप प्रतिरोधी मानकों को पूरा नहीं करती हैं और उनमें से कई को उनके भूकंपीय प्रदर्शन में सुधार के लिये पुनः संयोजन या सुदृढीकृत किया जा सकता है।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना: भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना महत्त्वपूर्ण है। इसमें निकासी योजना विकसित करना, आपातकालीन आश्रयों की स्थापना और भूकंप का सामना करने के तरीके पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
- अनुसंधान एवं निगरानी: अनुसंधान एवं निगरानी में निवेश किये जाने से भूकंप तथा उसके कारणों की हमारी समझ में सुधार करने में मदद मिल सकती है और प्रभाव का अनुमान लगाने एवं उसे कम करने हेतु बेहतर तरीके विकसित करने में भी मदद मिल सकती है।
- भूमि-उपयोग योजना: भूमि-उपयोग नीतियों की योजना बनाने और उन्हें विकसित करते समय भूकंप के संभावित प्रभावों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों में विकास को सीमित करना शामिल है तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि नए विकास को इस तरह से डिज़ाइन एवं निर्मित किया जाए जो क्षति के जोखिम को कम करता हो।2
References:
- Source : https://ndma.gov.in/hi/Natural-Hazards/Earthquakes ↩︎
- https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-analysis/india-s-earthquake-preparedness ↩︎