इस पोस्ट में हम जानेंगे सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत कक्षा 11 और 12 की समाजशास्त्र की पुस्तक के प्रकरण Sociology in Hindi : Socialization (समाजीकरण) : अर्थ एवं परिभाषा, समस्या और समाधान
Table of Contents
Sociology in Hindi : Socialization समाजीकरण (अर्थ एवं परिभाषा) :
समाजीकरण से तात्पर्य है व्यक्ति का सामाजिक रीति रिवाजों, गतिविधियों, व्यवहारिक समस्यायों से तालमेल बिठाने का अधिगम अर्थात सीखना |
किसी संस्कृति या समाज के मानदंडों के अनुरूप व्यवहार को ढालने की क्रिया को समाजीकरण कहा जाता है |
समाजीकरण: समस्या और समाधान
समाजीकरण एक महत्वपूर्ण समस्या है जिस पर हमें गंभीर रूप से विचार करना चाहिए। यह एक प्रक्रिया है जिसमें समाज में जातिवाद, लिंग भेदभाव, और वर्ग भेदभाव के आधार पर विभिन्न समुदायों को समाहित किया जाता है। यह एक मानवाधिकार की उल्लंघन की रूप में देखा जा सकता है और समाज में सफलता और विकास के लिए एक बड़ी बाधा हो सकता है।
समाजीकरण की समस्या
1. **जातिवाद:** भारत में जातिवाद एक महत्वपूर्ण समस्या है जिसमें लोगों को उनकी जाति के आधार पर अलग-अलग अधिकार और सुविधाएँ मिलती हैं। इससे समाज में असमानता और विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन होता है।
2. **लिंग भेदभाव:** समाज में महिलाओं के साथ लिंग भेदभाव भी एक समस्या है। महिलाएँ समाज में असमानता का शिकार होती हैं और उन्हें उनके सामाजिक स्थान के आधार पर अन्याय का सामना करना पड़ता है।
3. **वर्ग भेदभाव:** समाज में वर्ग भेदभाव भी एक बड़ी समस्या है, जिससे गरीबी और असमानता का बढ़ता हुआ समस्याओं का समाधान देने के लिए हमें समाज को अधिक उन्नत और समर्थ बनाने की जरूरत है।
**समाजीकरण के समाधान:**
1. **शिक्षा:** शिक्षा समाज में समाजीकरण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार है। शिक्षा के माध्यम से लोगों को समाज में समानता और अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
2. **कानूनी कदम:** समाजीकरण के खिलाफ कठोर कानूनी कदम अद्भुत उपाय हो सकते हैं। यह समाज में जातिवाद, लिंग भेदभाव, और वर्ग भेदभाव के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में मदद कर सकते हैं।
3. **समाज में जागरूकता:** समाज के लोगों को समाजीकरण की समस्या के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है। सभी को समाज में समानता और समरसता की महत्वपूर्णता समझनी चाहिए।
समाजीकरण के खिलाफ लड़ना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें समाज में समानता और न्याय की दिशा में काम करना चाहिए ताकि हम समर्थ और सामर्थ्य भरा एक सशक्त समाज बना सकें।
समाजीकरण की प्रक्रिया (Process of Socialization)
प्रारंभिक चरण: परिवार:
परिवार का महत्व: परिवार को सामाजिकरण का प्रथम और प्रमुख एजेंट माना जाता है। यह बच्चों को मूलभूत नैतिकता और व्यवहार सिखाता है।
- माता-पिता और बच्चों के बीच के संबंध: माता-पिता का बच्चों पर सीधा प्रभाव होता है। वे बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं और उनकी सोच और व्यवहार को आकार देते हैं।
- शिक्षा संस्थान:
- स्कूल और कॉलेज की भूमिका: शिक्षा संस्थान बच्चों को औपचारिक ज्ञान और सामाजिक कौशल प्रदान करते हैं।
- शिक्षक और सहपाठियों का प्रभाव: शिक्षक अनुशासन और नैतिकता सिखाते हैं, जबकि सहपाठी सामाजिक कौशल और टीमवर्क सिखाते हैं।
साथी समूह (Peer Groups):
दोस्त और सामाजिक समूह: दोस्त और सामाजिक समूह एक व्यक्ति की सोच, व्यवहार, और पहचान को प्रभावित करते हैं।
- साथियों के माध्यम से सीखने का महत्व: यह समूह व्यक्ति को सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को अपनाने में मदद करता है।
कार्य स्थल:
पेशेवर माहौल और कार्यस्थल का प्रभाव: कार्य स्थल पर व्यक्ति पेशेवर नैतिकता और सहयोग करना सीखता है।
- सहकर्मियों और वरिष्ठों से सीखना: सहकर्मी और वरिष्ठ व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करते हैं।
मीडिया और प्रौद्योगिकी:
टेलीविजन, इंटरनेट, और सोशल मीडिया की भूमिका: मीडिया व्यक्ति के विचारों और दृष्टिकोण को आकार देता है।
- आधुनिक समय में मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया और इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव व्यक्ति की सोच और व्यवहार पर पड़ता है।
समाजीकरण के प्रकार (Types of Socialization)
सामाजिकरण के प्रकार (Types of Socialization)
1. प्राथमिक सामाजिकरण (Primary Socialization)
प्राथमिक सामाजिकरण जीवन के शुरुआती वर्षों में होता है, जब बच्चा परिवार और करीबी समाज से सीखता है। यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि इसमें बच्चे के नैतिक और सांस्कृतिक आधार का निर्माण होता है।
- परिवार और घर का वातावरण:
- परिवार बच्चों को मूलभूत नैतिकता, मूल्य, और सामाजिक आचरण सिखाता है।
- माता-पिता, भाई-बहन और अन्य करीबी रिश्तेदार बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं।
- इस चरण में बच्चों को भाषा, संवाद के तरीके, और समाज में उचित व्यवहार सीखने को मिलता है।
2. माध्यमिक सामाजिकरण (Secondary Socialization)
माध्यमिक सामाजिकरण व्यक्ति के जीवन में बाद के चरणों में होता है, जब वह स्कूल, कार्यस्थल और अन्य सामाजिक संस्थानों के संपर्क में आता है। यह व्यक्ति को समाज में सामंजस्य स्थापित करने और नए सामाजिक कौशल सीखने में मदद करता है।
- स्कूल और शिक्षा संस्थान:
- स्कूल बच्चों को औपचारिक ज्ञान और सामाजिक कौशल प्रदान करते हैं।
- शिक्षक और सहपाठी बच्चों के सोचने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करते हैं।
- स्कूल में बच्चे अनुशासन, समय प्रबंधन और टीमवर्क जैसे महत्वपूर्ण कौशल सीखते हैं।
- कार्य स्थल:
- कार्य स्थल व्यक्ति को पेशेवर नैतिकता और सामाजिक कौशल सिखाता है।
- सहकर्मी और वरिष्ठ कार्य स्थल पर व्यक्ति के व्यवहार और दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।
- यह व्यक्ति को जिम्मेदारियों और कार्यक्षेत्र में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।
3. प्रत्याशित सामाजिकरण (Anticipatory Socialization)
प्रत्याशित सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति भविष्य की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के लिए तैयार होता है। यह व्यक्ति को आगामी जीवन स्थितियों के लिए आवश्यक कौशल और दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
- करियर और जीवन की अपेक्षाएं:
- व्यक्ति अपने भविष्य के करियर और जीवन में अपनाए जाने वाले व्यवहारों को सीखता है।
- इस चरण में व्यक्ति अपनी पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन की उम्मीदों के अनुसार अपने व्यवहार और दृष्टिकोण को तैयार करता है।
4. पुनः सामाजिकरण (Resocialization)
पुनः सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति नई परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुसार खुद को ढालता है। यह तब होता है जब व्यक्ति अपने जीवन में महत्वपूर्ण बदलावों का सामना करता है, जैसे नौकरी बदलना, शादी करना, या किसी नए समाज में जाना।
- नई परिस्थितियों में ढलने की प्रक्रिया:
- व्यक्ति को नई सामाजिक भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को अपनाना होता है।
- यह व्यक्ति को जीवन की नई चुनौतियों और स्थितियों के अनुसार खुद को पुनः स्थापित करने में मदद करता है।
- नौकरी बदलना, शादी, और अन्य जीवन परिवर्तन:
- नौकरी बदलने पर व्यक्ति को नए कार्य स्थल और कार्य संस्कृति के अनुसार ढलना होता है।
- शादी के बाद व्यक्ति को नए परिवार और सामाजिक दायित्वों को अपनाना पड़ता है।
- नए समाज में जाने पर व्यक्ति को वहां की संस्कृति, भाषा, और सामाजिक मानदंडों को सीखना होता है।
समाजीकरण के सिद्धांत (Theories of Socialization)
- सीखने का सिद्धांत (Learning Theory):
- पर्यावरण और अनुभव का महत्व: यह सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति अपने अनुभवों और पर्यावरण के माध्यम से सीखता है।
- सकारात्मक और नकारात्मक सुदृढीकरण: व्यवहार को सकारात्मक और नकारात्मक सुदृढीकरण द्वारा आकार दिया जा सकता है।
- भूमिका सिद्धांत (Role Theory):
- समाज में विभिन्न भूमिकाओं का महत्व: व्यक्ति विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं के माध्यम से समाज में स्थान पाता है।
- भूमिका निभाने का कौशल और क्षमता: व्यक्ति को अपनी भूमिका के अनुसार कौशल और क्षमता विकसित करनी होती है।
- सांस्कृतिक सिद्धांत (Cultural Theory):
- संस्कृति और परंपराओं का प्रभाव: संस्कृति और परंपराएँ व्यक्ति के व्यवहार और सोच को प्रभावित करती हैं।
- समाज के सांस्कृतिक मानदंड और मूल्य: व्यक्ति को सांस्कृतिक मानदंडों और मूल्यों के अनुसार ढलना होता है।
समाजीकरण के प्रभाव (Effects of Socialization)
- व्यक्तित्व विकास:
- आत्मसम्मान और आत्मविश्वास: सामाजिकरण से व्यक्ति का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- भावनात्मक और मानसिक विकास: यह व्यक्ति के भावनात्मक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सामाजिक कौशल:
- संवाद और सहयोग: व्यक्ति को संवाद और सहयोग करने की क्षमता प्राप्त होती है।
- समाज में रहने का ढंग: व्यक्ति को समाज में उचित व्यवहार और आदतें सीखने को मिलती हैं।
- सांस्कृतिक एकीकरण:
- सांस्कृतिक पहचान: व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक पहचान को समझता और अपनाता है।
- परंपराओं और मान्यताओं की रक्षा: यह व्यक्ति को अपनी परंपराओं और मान्यताओं की रक्षा और सम्मान करने में मदद करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
- सामाजिकरण (Socialization) की महत्वता का पुनरावलोकन: सामाजिकरण के महत्व को फिर से समझाना।
- स्वस्थ समाज के निर्माण में सामाजिकरण की भूमिका: यह व्यक्ति को समाज में सामंजस्य स्थापित करने और योगदान करने में मदद करता है।
- व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में योगदान: सामाजिकरण से व्यक्ति का व्यक्तिगत और सामाजिक विकास होता है।
If you are student and want to get notification of latest job, result and admit card, please visit to https://sarkaritests.com.
सवाल और चर्चाएँ (Questions and Discussions):
यदि आपके भी कोई प्रश्न, जिज्ञासा, या चर्चा का बिंदु हो तो कमेंट में जरुर शेयर करें और ऐसे ही post पाने के लिए सब्सक्राइब करें
इस विस्तृत व्याख्या के माध्यम से, आप सामाजिकरण के प्रत्येक पहलू को गहराई से समझा सकते हैं और अपने पाठकों के लिए एक समृद्ध और सूचनात्मक ब्लॉग तैयार कर सकते हैं।